भावी पीढ़ी को समर्पित अभियान ‘बस थोड़ा सा’ एक ऐसी मुहिम है, जिसका रिश्ता बच्चों से है तो उनके मम्मी-पापा से भी है| दादा-दादी और नाना-नानी से भी है| शिक्षकों से भी इस मुहिम का गहरा रिश्ता है| इस तरह आप कह सकते हैं कि समाज के हर तबके से इसका रिश्ता है| पीढ़ियों से रिश्ता है| बच्चों के लालन-पालन के बहाने यह रिश्तों को जोड़ने की बात भी करता है|
‘बस थोड़ा सा’ के कर्ता-धर्ता / संयोजक वरिष्ठ पत्रकार श्री दिनेश पाठक हैं, जो प्रतिष्ठित हिंदुस्तान अखबार के सम्पादक के रूप में कई केन्द्रों पर काम कर चुके हैं| पत्रकारिता के साथ ही वे बीते 18 वर्षों से लगातार स्कूल-स्कूल जाकर स्टूडेंट्स, पैरेंट्स, टीचर्स से बातचीत करते आ रहे हैं| इस बातचीत में वे स्टूडेंट्स को पढ़ाई के तरीके, परीक्षा की तैयारी आदि मुद्दों पर मदद करते हैं तो पैरेंट्स से होने वाली छोटी-छोटी ऐसी चूक की ओर ध्यान दिलाते हैं जो मम्मी-डैडी अनजाने में कर रहे हैं| उसका समाधान भी बताते हैं| अपनी क्लास में वे शिक्षकों से कहते हैं कि दुनिया का सबसे बेहतरीन काम आप ही कर रहे हैं| मतलब, यह कि सबसे बातचीत का लब्बो-लुआब यह है कि देश की भावी पीढ़ी मजबूत हो| देश के बारे में अच्छा सोचे| समाज के बारे में अच्छा सोचे| श्री पाठक को इस मुद्दे पर जबरदस्त समर्थन भी मिल रहा है|
पैरेंटिंग पर उनकी अब तक चार किताबें हैं| उन्हीं में से एक किताब है ‘बस थोड़ा सा’| इसी पर उत्तर प्रदेश दूरदर्शन ने धारावाहिक बनाया है, जो प्रसारित भी हो चुका है| सात एपिसोड और बन रहे हैं| आल इंडिया रेडियो भी इसी किताब पर अलग से धारावाहिक बना रहा है| उत्तर प्रदेश उर्दू एकेडमी भी इसे अपने स्तर पर उर्दू में छापने जा रही है| अंग्रेजी का अनुवाद चल रहा है| मराठी, गुजराती, असमिया, बांग्ला में बातचीत अंतिम चरण में है| देश की अन्य भाषाओँ में भी इस किताब को प्रकाशित कराने के प्रयास चल रहे हैं| अब समाज के लोग यह मानने लगे हैं कि इस किताब की जरूरत देश के हर घर में है| क्योंकि इसमें बच्चों के लालन-पालन से लेकर उनके विकास को लेकर ढेरों ऐसी छोटी-छोटी चीजें दर्ज हैं, जो समाज के लिए बेहद उपयोगी साबित हो रही हैं| श्री पाठक का उपयोग मम्मी-डैडी अपने पाल्यों के लिए कर रहे हैं तो स्कूल भी उत्साहित होकर उन्हें बुलाना चाहते हैं| काउंसलर के रूप में दिनेश जी को रेडियो, दूरदर्शन तो बुलाते ही हैं, कई अखबार उनके कॉलम भी छाप रहे हैं| पत्र-पत्रिकाओं के जरिए उनकी बात जन-जन तक पहुँच रही है|
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लेखक श्री पाठक को भेजे अपने पत्र में लिखा है-बस थोड़ा सा पुस्तक पाकर प्रसन्नता हुई| भावी पीढ़ी के विकास पर केन्द्रित आपका यह प्रयास प्रशंसनीय है| अभिभावकों और बच्चों के बीच बेहतर तालमेल सुखद भविष्य की नींव तैयार करता है| पुस्तक में इस विशेष रिश्ते को व्यावहारिक रूप से प्रस्तुत करने और भावी पीढ़ी की जरूरतों को समझने का अच्छा प्रयास किया गया है| मुझे उम्मीद है कि यह पुस्तक पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी| केन्द्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह, प्रख्यात सन्त श्री सुधांशु जी महराज समेत कई महत्वपूर्ण हस्तियों ने इस मुहिम का समर्थन किया है|
सहज, सरल श्री दिनेश पाठक सर्वसुलभ हैं| वे बच्चों के लिए कुछ भी करने को तैयार देखे जाते हैं| कोई भी माता-पिता, स्कूल, शिक्षक उनकी सीढ़ी मदद ले सकते हैं|
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